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लेखनी प्रतियोगिता -22-Dec-2023 "मिस्ड काल"

              मिस्ड काल(कहानी) 

आज सुबह जब आंख खुली तो ठंड का आग़ाज़ हो चुका था। दिसंबर का महीना चल रहा है और ठंड अपने चरम पर है तो उठने का मन नहीं हो रहा था पर बेटे को स्कूल जाना था और पति को ऑफिस।
सो धीरे से रजाई को अपने आप से अलग करते हुए और जमीन पर पर रखते हुए सिलिपर की तलाश में  खड़ी हो गईऔर बेटे को आवाज लगाते हुए..
बेटा उठो आज स्कूल जाना है कि नहीं देर हो जायेगी जल्दी उठो.... 
तभी याद आया बेटे को सर्दी हो गई है और हल्का सा फीवर भी हो रहा था रात में, मुझसे कह कर सोया था मां मुझे सुबह नहाना नहीं है तो थोड़ी देर से उठाना, फिर बस एक ही आवाज लगाकर चुप हो गई। और कमरे से बाहर  किचन में आई और ब्रेकफास्ट की तैयारी करने लगे बेटे को पास्ता ले जाना था तो पास्ता बनाने की तैयारी में लग गई । 
तभी एक का एक फोन की घंटी बज उठी  मैंने सोचा बेटा या फिर पति उठा लेगा पर दोनों की आवाज ना आई  तभी दौड़ती हुई किचन से कमरे में पहुंची, और फोन को हाथ में लेते हुए बोली....आप लोगों से इतना भी नहीं होता कि मैं किचन में काम कर रही हूं और फोन भी उठा ले, देखा तब तक फोन कट चुका था किसी अननोन नंबर से फोन था, मैंने सोचा चलो अच्छा ही हुआ अभी सुबह-सुबह कौन फोन में बातेँ करता बाद में आराम से फोन कर लूंगी। 
और यह कहते हुए जल्दी उठो सार्थक स्कूल का टाइम हो रहा है मैं यह कहते हुए कमरे से बाहर रसोई में फिर आ गई और नाश्ता तैयार करने लगी जल्दी-जल्दी टिफिन तैयार किया बेटा  उठा और वह तैयार होकर कमरे से बाहर आया जल्दी से उसको दूध और ब्रेकफास्ट दिया और अपने पति को उठाया की बेटे को छोड़ आओं फिर दोनों लोग घर से स्कूल छोड़ने के लिए निकल गये। 
मैं थोड़ी देर बैठी तभी पति भी वापस आ गए, रोज सुबह की चाय वो ही बनाते हैं, वो चाय बना कर लाये फ़िर हम दोनों ने चाय पी और चाय पीकर वह तैयार होने के लिए उठ खड़े हुए और मैं भी किचन में फिर से टिफिन की तैयारी करने लगी जल्दी-जल्दी टिफिन पैक किया वो भी तैयार होकर नास्ता कर के ऑफिस के लिए तैयार हो गए उनको बाहर छोड़कर मैं वापस आकर सोफे पर बैठ गई। 
तभी एक का एक मुझे याद आया कि सुबह किसी का फोन आया था जिसे मैं पिक नहीं कर पाई थी सो मैं दौड़ती हुई कमरे की तरफ गई और फोन उठा कर लाई और कॉल बैक करने लगी तभी  उधर से फोन उठा तो बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी आंटी आंटी मेरी मां.....!!
क्या हुआ बेटा कौन हो आप बोल...??आंटी मैं आपके यहां जो काम करती है उनका बेटा हूं का क्या हुआ बेटा क्यों रो रहे हो बोलो बच्चे क्या हुआ है? 
 मेरी माँ को पता नहीं क्या हो गया है दो घंटे से वह बहुत कांप रही है बहुत तेज बदन और माथा जल  रहा है और बेहोश है कुछ सुनी नहीं रही है मैं बार-बार उन्हें आवाज लग रहा हूं पर वो कुछ बोल ही नहीं रही है और फिर इतना कह कर वह फिर रोने लगा जोर-जोर से। 
मैंने उसको बहुत समझाया बेटा चुप हो जाओ चुप हो जाओ और फिर वह बोला आंटी आप आ जाइए प्लीज आप आ जाइए मेरी माँ को बचा लो देखो ना मेरी माँ को क्या हो गया है। 
मैंने कहा आप पहले चुप हो जाओं, मैं आता हूं और इतना कहकर मैंने फोन काट दिया, जल्दी से उठी और कपड़े चेंज कर अलमारी से पर्स लिया फटाफट नीचे उतर गई मेरी कामवाली का घर मुझे से बीस मिनट की दूरी पर था पैदल नहीं जा सकती थी सो  ऑटो किया और चुपचाप निकल पड़ी कुछ देर बाद मैं उसकी झुंगी में जा पहुंची, जहां पर वह रहती थी मैंने आवाज़ लगाई मीना....मीना....तभी एक बच्चा रोता हुआ बाहर आया, \\'आंटी आओ जल्दी आओ मेरी मां को देखो क्या हुआ है....??
मैं दौड़ी- दौड़ी अंदर प्रवेश कर गई देखा जमीन पर एक रजाई गद्दे के ऊपर वह औरत लेटी हुई है  हाँफ रही है साथ साथ बदन काँप रहा है मैंने हाथ रखते हुए कहाँ मीना क्या हुआ है पर उसने कोई आवाज़ का उत्तर नहीं दिया, मुझे समझने में देरी ना लगी कि वह फीवर की बजह से बेहोश हो गई है।
मैंने बिना देर किये हुए औटो बाले भईया को आवाज़ लगाई....
जल्दी से अंदर आइये वो दौड़ता हुआ अंदर आया उसकी सहायता से मैंने मीना को ऑटों में बिठाया और साथ में उस बच्चे को भी लिया और फ़िर उस ऑटो वाले से कहाँ जल्दी से अस्पताल की तरफ ले चलो जो हमारे घर के पास में था।
उस वक़्त अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि यदि उसी समय यदि फोन पे आई मिस्ड काल पे काल वैक कर लेती तो मीना की तबियत इतनी खऱाब नहीं हुई होती। 
उसके बेटे की तरफ देखा जो अब भी रो रहा था और मुझसे चिपक कर बैठ गया था,और बार बार मुझसे पूछ रहा था आंटी मेरी मां ठीक तो हो जाएगी ना बोलो ना आंटी मैंने उसके सर पर हाथ फिरते हुए कहा बेटा चुप हो जाओ तुम्हारी मां पूरी तरह से ठीक हो जाएगी बस हम डॉक्टर के पास पहुंचते ही उनका इलाज शुरू कर देंगे। 
वो बच्चा बस इतना ही कहता जा रहा था आंटी मेरी मम्मी को बचा लो मेरा कोई नहीं है मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि काश मैं वह मिस्ड कॉल उस समय उठा कर काल बैक कर ली होती तो इतनी देर नहीं हुई होती। 
मधु गुप्ता "अपराजिता"
स्वरचित कहानी

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7 Comments

HARSHADA GOSAVI

06-Jan-2024 09:33 AM

👌👌👌👌👌👌👌👌

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Gunjan Kamal

22-Dec-2023 06:33 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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Khushbu

22-Dec-2023 06:22 PM

Nice one

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